मध्यप्रदेश के कटनी जिले में एक शिक्षिका ने प्रमोशन लेने के लिए फर्जी मार्कशीट लगा दी। मामले की जांच में अपराध सत्य पाया गया, जिसके बाद महिला शिक्षक का प्रमोशन की जगह डिमोशन मिला। लेकिन शासन को धोखा देते हुए कूटरचित दस्तावेज का उपयोग करने पर अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई।
कटनी जिला शिक्षा अधिकारी पृथ्वी पाल सिंह को शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बरही में पदस्थ शिक्षिका मीना कोरी के खिलाफ फर्जी बीए की अंक सूची लगाकर पदोन्नति प्राप्त करने की शिकायत मिली थी।
मामले की गंभीरता को देखते हुए विकास खंड शिक्षा अधिकारी बड़वारा से प्रकरण की जांच कराई गई, जिसमे जांचकर्ता अधिकारी ने सहायक रजिस्ट्रार (परीक्षा) अवधेश प्रताप सिहं विश्वविद्यालय के प्राप्त शिक्षिका मीना कोरी की बीए की अंक सूची अभिलेख के अनुसार सही नहीं पाई। उसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा मीना कोरी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रस्ताव प्रेषित किया।
जानकारी के अनुसार, डीईओ द्वारा जबलपुर शिक्षा मंडल के पत्र का हवाला देते हुए 15 दिन के अंदर जारी नोटिस का जवाब-तलब करने की कोशिश की गई। लेकिन उसका कोई उत्तर शिक्षिका द्वारा नही दिया गया। यहां तक कि जिला शिक्षा कार्यालय के समक्ष पेश होकर अपने दस्तावेज करने का अवसर भी महिला शिक्षक ने गंवा दिया, जिसके बाद मजबूरन विभागीय अधिकारी ने शिक्षिका द्वारा लिए गए माध्यमिक प्रमोशन को वापस लेते हुए वर्तमान कार्यरत संस्था में ही रिक्त प्राथमिक शिक्षक के पद पर पदस्थ किया जाता है।
अपर संचालक, लोक शिक्षण संभाग जबलपुर के आदेश से एक बात स्पष्ट है कि अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय की अंक सूची की कूट रचना की गई और फर्जी दस्तावेज का शासकीय प्रक्रिया में उपयोग करते हुए पदोन्नति का लाभ प्राप्त किया गया है। एक तरफ यूनिवर्सिटी की फर्जी मार्कशीट बनाई गई है। दूसरी तरफ शासन को धोखा दिया गया है।
इसके बावजूद महिला शिक्षक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने की कार्रवाई नहीं की गई। जो रैकेट यूनिवर्सिटी की फर्जी मार्कशीट बनाने का काम कर रहा है, उस तक पहुंचने का प्रयास भी नहीं किया गया। ऐसे कई सवाल शिक्षा विभाग के ऊपर सवाल खड़े कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, डीईओ द्वारा जबलपुर शिक्षा मंडल के पत्र का हवाला देते हुए 15 दिन के अंदर जारी नोटिस का जवाब-तलब करने की कोशिश की गई। लेकिन उसका कोई उत्तर शिक्षिका द्वारा नही दिया गया। यहां तक कि जिला शिक्षा कार्यालय के समक्ष पेश होकर अपने दस्तावेज करने का अवसर भी महिला शिक्षक ने गंवा दिया, जिसके बाद मजबूरन विभागीय अधिकारी ने शिक्षिका द्वारा लिए गए माध्यमिक प्रमोशन को वापस लेते हुए वर्तमान कार्यरत संस्था में ही रिक्त प्राथमिक शिक्षक के पद पर पदस्थ किया जाता है।
अपर संचालक, लोक शिक्षण संभाग जबलपुर के आदेश से एक बात स्पष्ट है कि अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय की अंक सूची की कूट रचना की गई और फर्जी दस्तावेज का शासकीय प्रक्रिया में उपयोग करते हुए पदोन्नति का लाभ प्राप्त किया गया है। एक तरफ यूनिवर्सिटी की फर्जी मार्कशीट बनाई गई है। दूसरी तरफ शासन को धोखा दिया गया है।
इसके बावजूद महिला शिक्षक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने की कार्रवाई नहीं की गई। जो रैकेट यूनिवर्सिटी की फर्जी मार्कशीट बनाने का काम कर रहा है, उस तक पहुंचने का प्रयास भी नहीं किया गया। ऐसे कई सवाल शिक्षा विभाग के ऊपर सवाल खड़े कर रहे हैं।
Post a Comment